संस्कृति संस्कार का शौर्य सूर्य चाँद कलाम कमाल।। संस्कृति संस्कार का शौर्य सूर्य चाँद कलाम कमाल।।
विशेष बन गये हो या शेष भी नहीं रहे हो रोब है किसी पर या विरोधी बना लिये हो विशेष बन गये हो या शेष भी नहीं रहे हो रोब है किसी पर या विरोधी बना लिये हो
इसी माया के लिए तो नफ़रत करता है इंसान से इंसान, इसी माया के लिए तो नफ़रत करता है इंसान से इंसान,
करो ना किसी को भी इतना जलील की बिगड़ जाए उसकी दिमागी तबीयत। करो ना किसी को भी इतना जलील की बिगड़ जाए उसकी दिमागी तबीयत।
वो आता है और एहसास दिलाता है, की शान्ति ही सब कुछ है, फिर अपने बड़े-बड़े पर को खोल कर, बाण की... वो आता है और एहसास दिलाता है, की शान्ति ही सब कुछ है, फिर अपने बड़े-बड़े पर ...
इस बार प्रहरी फिर मरे। इस बार प्रहरी फिर मरे।